Friday, November 13, 2009

लाइफ झंड बा, फिर भी घमंड बा.

दिन भर काम,
ऑफिस आने जाने में ट्रैफिक,
गाडियों की हौं पौं,
ऊपर से इतना धुआं और धुल...

कुर्सी पे बैठे बैठे,
तन से ज्यादा मन थका हुआ,
किबोर्ड की ठक ठक,
और आँखे सिर्फ कंप्यूटर पे...

नोट तो कमाए,
लेकिन आनंद उठाये, इसके लिए न वक़्त है न शारीर में उर्जा.
फिर भी एक बात कहेंगे भैया,
लाइफ झंड बा, फिर भी घमंड बा.

बुराई

कबीर जी ने कहा -

बुरा जो देखन मै चला , बुरा न दिखा कोय.
जो दिल ढूंढा अपनों , मुझसे बुरा न कोय.


आजकल की जनता -

बुरा जो देखने मै निकला,
हर एक चीज में बुराई पाया.
लोग कहते हैं भगवान परफेक्ट हैं ,
मै कहता हूँ कि उनकी यही बुराई है कि उनमे बुराई नहीं.