चलो फिर!
तुम तो जाकर लग जाओगी,
एक कतार में,
अपने क्रम के इंतज़ार में,
मुझे तो तय करना है,
एक लम्बी... सी दुरी.
बनुंगा किसी का निवाला,
कुछ खुन की बूंदें,
फिर फेंक दिया जाऊंगा,
शेष जमीं पे,
शायद फिर से निवाला,
और फिर से जमीं पे.
अनंत क्षुधाओं को तृप्त कर,
मिट्टी में मिल जाऊंगा,
तुम जा रही हो, जाओ,
तुम बिन मैं एक निवाला रह जाऊंगा.
चलो फिर!
सुंदर कविता ...बधाई
ReplyDeleteExcellent with perfect vision...love the theme and thoughts of lifecycle.
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