Saturday, July 3, 2010

अस्तित्व


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दो चलते हुए खंभे,
उसके उपर एक ट्रांसफ़ॉर्मर,
उसके उपर पांच किलो का एक सुपर कम्प्युटर.
चलती है साँस तो मै मै हुं .
जो रुक गयी साँस तो मै कौन हुं ?

कुछ मछलियों का भोजन,
या एक हंडी बुझी हुई राख,
या पत्थर के बोझ से दबी,
जमीं से तीन फीट नीचे कुछ हड्डियाँ ?

या फिर डाइनिंग हॉल की दिवाल पे,
फोटो फ्रेम में कैद,
सफ़ेद मूंछे फहराते,
दो गज की पगड़ी में,
जकड़ा एक चेहरा ?

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